अचानक ही एक सवाल आया दिमाग में
क़ि
मैं कौन हूँ ???
सोचता रहा काफ़ी देर तक ...
फ़िर मैं से मैं को निकाला ।
किसी अंधेरे कमरे को रोशन कर दूँ
तो मैं हूँ
किसी रोते हुए बच्चे को हंसा दूँ
तो मैं हूँ
किसी भटके मुसाफिर को राह दिखा दूँ
तो मैं हूँ
किसी भूखे को खाना खिला दूँ
तो मैं हूँ
किसी प्यासे को पानी पिला दूँ
तो मैं हूँ
किसी के दर्द को मरहम लगा दूँ
तो मैं हूँ
किसी के जीवन को संवारने में
अपने जीवन को लगा दूँ
तो मैं हूँ
हाँ ...
शायद यही मैं हूँ !!!
.......................
'जोगी' हूँ :)
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