Tuesday, December 8, 2009

क्या लिखूं !!!

क्या लिखूं
सोच रहा हूँ ...
सरहदें
इंसानियत
बादल
प्यास
धरती
आकाश
नदिया
समंदर
सूरज
और
एक छोटा सा दीपक
रात के अंधेरे में एक कोने को रोशन करता हुआ
सूरज से कहीं बड़ा प्रतीत हो रहा है ....

1 comment:

  1. बिलकुल सही कहा आपने बहुत सुन्दर भाव हैं शुभकामनायें

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