जिंदगी चलेगी ,
बढूँ ना बढूँ जिंदगी बढ़ेगी ...
क्यों वक़्त चलता ही रहता है ...
कभी मन रुकना चाहता है
पर रुकना तो होता ही नही है ...
मैं चलता हूँ ,
रुका हूँ
तो सोचता हूँ अकेला हूँ ,
हिम्मत लूं कहाँ से मैं ,
बढूँ कैसे अकेले ,
हार ना मानूँ कभी ,
थम जाता क्यों हूँ ,
सपने लिए हजार आँखों में,
कभी सहम जाता हूँ क्यों ?
इंसां हूँ पर उड़ना चाहता हूँ ,
बादलों के पार जाना चाहता हूँ ,
सपनों का जहाँ बसना चाहता हूँ ,
हर चेहरे पे मुस्कराहट लाना चाहता हूँ ,
मैं थमता हूँ पर वक़्त थमने नही देता है ,
ऊँगली थाम वक़्त की मैं आगे बढ़ता रहता हूँ :)
Bahut sundar rachana hai!
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