कोई चिराग न जला ,
आस में खड़ा हूँ ,
कोई हाथ न मिला
इंसां हूँ क्यों इंसां
को चाहता हूँ ,
जाने साथ क्यों पाना ,
चाहता हूँ ,
साहिल पे था कल ,
आज तूफ़ान में हूँ
साथ था कोई ,
पर आज अकेला ही हूँ ,
हुआ क्या ,
कुछ नही समझ आया ,
एक लहर आई ,
सब ले गई ,
फिर तूफ़ान के सामने हूँ ,
फिर अकेला खड़ा हूँ ,
अनिश्चित काल सामने खड़ा ,
मैं डरा सा ,
मैं हारा सा ,
सिर्फ अकेला ,
बस अकेला ,
तूफ़ान को देखता हूँ
और मुस्कुरा देता हूँ .
No comments:
Post a Comment