Saturday, July 31, 2010

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मैं एक टूटे हुए तारे के लिए
आसमां को ढूंढता हूँ ...
मैं हर बुझते हुए चिराग में
रोशनी को ढूंढता हूँ ...
मैं तूफ़ान में तैरने वाले के लिए
साहिल को ढूंढता हूँ ...
इस वीरान इंसानों के जंगल में
मैं सबके लिए शांति को ढूंढता हूँ ...

मैं एक टूटे हुए तारे के लिए ...
आसमां को ढूंढता हूँ ..









1 comment:

  1. मैं एक टूटे हुए तारे के लिए
    आसमां को ढूंढता हूँ ...
    मैं हर बुझते हुए चिराग में
    रोशनी को ढूंढता हूँ ...
    Nihayat sundar panktiyan!

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