तुम दर्द से परिचय को तरसते
अगर
वो रोने और सिसकने के बहाने नही देता !!!
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अन्दर बाहर बड़ी घुटन है ...
क्षण यह जीना क्यूँ इतना कठिन है ...
अंगारों पे राख जमीं है
फ़िर भी तपिश क्यूँ लग रही है !!!
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