Thursday, January 7, 2010

जीवन चक्र !!!

कुछ शब्द नहीं मिल रहे हैं ,
ढूंढ़ रहा हूँ कुछ मिले लिखने को
लम्बी राह है ,
कठिन डगर है
चलते जाना है ...
बूँद
बारिश
दरिया
सागर
बादल
चलते जाना है
जीवन चक्र में
चक्रव्यूह से पार जाना है
साथ रहना मेरे सफ़र में हमसफर
क्यूंकि
चलते जाना है ...

2 comments:

  1. Jogi ji dil ki kashmokash ko shabdo se achhi tareh uker diya hai aur achhi rachna ne swarup le liya hai..acchha shabd sanyojan hai..likhte rahiye.

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