Thursday, March 21, 2013

एक परिंदा



वो दूर कहीं सूर्योदय हुआ ,
सूरज की लालिमा से धरती सजी है ,
भोर का तारा बना एक परिंदा ,
एक राह तके उसे ,
नई राह चुने वो ,
चलते जाने को सदा !!!
ये परिंदा फिर उड़ चला ,
एक नई उड़ान ,
पंखों में है भरोसा ,
चल पडा एक नई मंजिल की ओर,
फिर शाम ढले एक आशियाना चाहि  ए ,
पर सुबह होते ही ,
फिर नित नई आशा एक ,
एक नई मंजिल,
एक नया हौसला चाहिए ,
बस चलते रहने को जीवन डगर में ,
उड़ते जाने को ,

एक परिंदा फिर उड़ चला !!!
 

Tuesday, January 1, 2013

मै भी ...


मैं जानता  हूँ  कि  मेरा
इंतज़ार तुम्हे अब भी है ,
हर पल में लगता होगा कि
मैं क्यूँ नही हूँ ,

हर वो पल ख़ुशी को
जो तुमने बाँटना चाहा  होगा,
हर वो पल गम का ,
जब तुमने मुझे याद किया होगा ,
मेरी कमी होने से ,
वो लम्हा कुछ सिमटा  होगा ,
उस सिमटे से पल में ,
तुमने खुद को भी संभाला होगा ,
कभी खुद को कभी हालत को
तो कभी किस्मत को भी कोसा होगा ,

पर इन सबमें मैं भी आया होऊंगा,
हजारों बार का ये सवाल
कि  ये जो है वो क्यूँ है ,
ये क्या है जो हुआ ,
जो मैंने किया ,
या मुझसे हुआ।।

साथ क्यूँ नही हैं अब ,
कल तक मरने जीने की कसमें खाई,
हर पल में साथ देने का वादा ,
उफ़ वक़्त !!!
मैं बदला शायद इस रहगुजर से चलते हुए ,
गुनाहगार हूं मैं तुम्हारा ,
और रहूँगा ही सदा,

मैं नहीं कहता कि  माफ़ करना मुझे,
कहूँगा कि बस
मत तोडना विश्वास इस प्यार नामक शब्द  से ,
जुड़े रहना भरोसे के धागे से ,
मेरा जाना शायद निश्चित ही था ...
मैं हूँ नही मुसाफिर तुम्हारी राह का,

सफर तुम्हारे साथ जो था,
पल पल मैं जीया उसमें ,
हर पल को नवीन रूप में पाया मैंने,
तुम मेरे साथ थे उस पल में ,
उस हर पल में तुम मुझे मेरे और करीब लाये,
तुम्हे ही मुझे राह दिखाई कि
क्या करना है मुझे,
कहाँ जाना है ...
क्या राह है मेरी ...
कहाँ का राही हूँ
और कहाँ मंजिल है मेरी,


बहुत से पलों में सिमट के,
मैंने भी तुम्हे  याद किया है ,
जैसे अभी कर रहा हूँ ,
तुम्हारी कमी को महसूस किया है,
मैंने भी मर मर के बहुत से लम्हों को जिया है !!!

Saturday, November 3, 2012

जब एक बच्चा
हाथ थामे तो विश्वास होता है .

लहर किनारे से टकरा के
हमेशा सागर में ही जा मिले तो
मिलन होता है .

दूर कहीं दिन ढल जाये
एक सुनहरी सुबह के लिए
तो ये
आशा कहलाती है .

हर पल गिर कर उठ कर
संभल कर
चले तो
ये जीवन  होता है .

Monday, October 15, 2012

अजीब लम्हे , 
कुछ अजीब से रिश्ते ,
पल पल बदलती जिंदगी ...
हर पल बदलता इंसान ...

कुछ खोता सा ,
कुछ पाता  सा ,
हर लम्हे में कुछ   सिमटा सा ,
एक पल पल गुजर कर , लम्बी जिंदगी बनाता है ...

कुछ यादों को साथ लिए ,
हर पल इंसान बढ़ता ही रहता है ...
कुछ खता हुई , कुछ खोया गया ...
अगले पल ही  कुछ पाया गया ...

कभी खुद को जाना,
कभी बहुत कुछ सिखा ...
पर आगे बढ़ना नही रुका ...

पल पल से दिन बने , दिन बन जाते हैं साल ...
बहुत कुछ सीखता इंसान ,
बढ़ता रहता है एक अनंत यात्रा पर ,

कभी रुका सोचने ,
क्या किया 
क्यूँ किया 
क्या हुआ 
कैसा हुआ , 
पर ज्यादा नही सोच पाता  ,

वक़्त कभी थमता नही ,
कभी रुका नही ,
कुछ अनसुलझे प्रश्न  लिए  भी ,
आगे बढ़ना ही होता है 


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Infinity ...


Standing in front of the sea again,
seems like its infinity teaching me..
sharing me the greatest lesson of life...
about the infinite ability of human being...


The sea seems to be calm ,
whatever happening inside deep down,
just showing me its calmness and greatness,
i must learn ,
whatever happens in life ,
i must be calm from inside in all situations
The peace must remain same always...

Another moments passed by,
i lie down ,
closed my eyes...
holding the infinity's hand besides me...
i ponder over my thoughts,
the sea is talking to me,
i am listening the sound of waves...
the more the sound,
the more peace for me...

Soon i lost in the infinity,
become one with this infinite,
sharing its greatness, calmness and infinity,
I just lost ...
speechless...calm...peace..silence only !!!

Sunday, May 27, 2012


My life,
full of surprises...
sometimes i wonder...
sometimes i ponder...
sometimes i speak..
sometimes i silence..

Many a times i am alone,
Sometimes m with crowd,
but again many a times...
i am alone in the crowd...

Sometimes...
full of dreams...
Sometimes
I lost the way too...

But the beauty is that,
i keep my dreams alive...
I believe in me
I believe in I
I believe in my Dreams,
I believe in the the faith to Achieve them,
Sometime i willl achieve all of them,
Sometime....

Monday, May 14, 2012


एक अधूरा ख्वाब सा ,
आँखों में पलता देखा मैंने,
कई दौर गुजरे ,
कई मंजिलें पाई...

नए साथी , नई    मंजिल
नए रस्ते पाए मैंने
पर अधूरा सा ख्वाब एक ,
आँखों में महसूस  किया  मैंने  आज  भी  ,

मैंने देखा है  ,
सपने  सच  होते  भी  ..
मैंने महसूस  की  है  ,
वो  जीत  की  ख़ुशी  ,
मैंने किये  हैं  अपने  ख्वाब भी  पूरे ...

कल  ही  गुफ्तगू  की  मैंने ,
इसी  ख्वाब  से  दोबारा  ,
पूछा  मैंने ,
चाहता  क्या  है  ,
बोला  , सच  होना  चाहता  हूँ  ...

मैं  मुस्कुराया  ,
हाथ  उसका  लिया  हाथ  में ,
बोला  मैं  ...
चल  आज  फिर  संग  संग  चलते  हैं  ...
बाकि  सपनों  की  तरह  इसे  भी  सच  करते  हैं  :)

चल  दिया  मैं  अपनी  सपनों  की  डगरिया ,
एक अधूरे  से  ख्वाब को  संग  ले  के
उसे भी सच  बनाने  ,

 
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