नया साल है ,
पर नया क्या है ?
वहीँ पुराना इंसां तो होता है ...
चेहरे पे मुस्कान लिए
सबको मुबारकबाद कहता है ,
पर नया क्या है ...
वही सुबह
वही सूरज
वही इंसां
वही रोज का काम धंधा ,
सिर्फ तारीख बदली
पर इंसां नहीं बदला ,
बेहतर हो क़ि हर दिन को नया साल बनाया जाये
हर दिन नए सपने बुनें जायें
हर दिन नई आशा से भरा हो
हर दिन को जी भर के जियें
हर दिन को नया साल बनाएं ,
चलो सबको बतलाएं
हर दिन एक नया साल ले के आयें ...
Thursday, December 31, 2009
Monday, December 21, 2009
सपने !!
कल देखा मैंने तुम्हे करीब से
वैसा ही जैसा मैंने सोचा है
वैसी ही तो हो तुम ,
कल मैंने महसूस किया तुम्हे
अपने आस पास
अपने साथ
वही साथ जो सिर्फ सोचा ही है अब तक ।
समंदर किनारे एक छोटे से घर में
शाम का वक़्त है
दूर कहीं सूरज छिपने वाला है
सुन्दर नजारा है बाहर ।
चलो घुमते हैं बाहर ,मैंने कहा
चल निकले दोनों हम राही
बाहर का समाँ कुछ और था
न तुम तुम थी
न मैं मैं था ...
सिर्फ 'हम ' थे वहां पर ...
कुछ देर बैठे सूरज को देखा
समंदर किनारे रेत में एक
घरौंदा बनाया और
उसके पीछे थी सपनों की एक कतार
तुमने गले लगाया
मुझे लगा क़ि सारा संसार मिला मुझे
फिर कहा क़ि घर चलो
हम वापस समंदर किनारे वाले घर की ओर चले
अचानक आँख खुली
मुस्कुराया और महसूस किया उस
एहसास को जो अब तक मुझमें था
तुमसे गले मिलने का
शायद कुछ सपने सपने ही रहते हैं
.................................................
वैसा ही जैसा मैंने सोचा है
वैसी ही तो हो तुम ,
कल मैंने महसूस किया तुम्हे
अपने आस पास
अपने साथ
वही साथ जो सिर्फ सोचा ही है अब तक ।
समंदर किनारे एक छोटे से घर में
शाम का वक़्त है
दूर कहीं सूरज छिपने वाला है
सुन्दर नजारा है बाहर ।
चलो घुमते हैं बाहर ,मैंने कहा
चल निकले दोनों हम राही
बाहर का समाँ कुछ और था
न तुम तुम थी
न मैं मैं था ...
सिर्फ 'हम ' थे वहां पर ...
कुछ देर बैठे सूरज को देखा
समंदर किनारे रेत में एक
घरौंदा बनाया और
उसके पीछे थी सपनों की एक कतार
तुमने गले लगाया
मुझे लगा क़ि सारा संसार मिला मुझे
फिर कहा क़ि घर चलो
हम वापस समंदर किनारे वाले घर की ओर चले
अचानक आँख खुली
मुस्कुराया और महसूस किया उस
एहसास को जो अब तक मुझमें था
तुमसे गले मिलने का
शायद कुछ सपने सपने ही रहते हैं
.................................................
दिल और दिमाग !!!
क्यों कोई अंजाना अपना सा लगने लगता है
दो दिन की मुलाकात में ही
मानो जैसे सदियों की मुलाकात हो ,
मंजिल का पता नहीं होता है कभी कभी
फिर भी उस डगमग कठिन राह पे
क्यों चलने को मन करता है ॥
दिल और दिमाग में उलझन होती है
दिल कहता है क़ि आगे बढ़ो ,
वहीँ दिमाग कहता है क़ि यह राह मेरी नहीं
फिर दिल और दिमाग में बहस होती है ....
कभी दिल जीत के खुश हो लेता है
कभी दिमाग खुश हो के मदमस्त होता है ॥
इन दोनों के बीच मैं कहाँ होता हूँ
समझ नहीं पाता हूँ
पर चलता ही जाता हूँ
कभी दिमाग की मान लेता हूँ
तो कभी दिल की ,
कभी द्रढ निश्चय लेता हूँ क़ि
अब बस दिल की नहीं सुनूंगा
उसे हावी नहीं होने दूंगा अपने ऊपर
कितने ही लक्ष्य हैं अभी उन्हें पूरा भी तो करना है
दिल कहता है क़ि गलत ही क्या है ?
दिमाग कहता है क़ि पथ से विचलित होता हूँ ,
दिल कहता है पथ से जो विचलित करे दिल नहीं है वो
ध्यान से सुनो दिल की
कहीं न कहीं दिमाग में भी वही है ...
जो दिल में है ।
फिर आज
कोशिश की दिल और दिमाग को
एक करने की ,
देखा दोनों एक ही भाषा बोलते हैं ,
एक ही पथ पर मंजिल है दोनों की
प्यार और शांति ही चाहते हैं दोनों
मैं मुस्कुराया अपने दिलोदिमाग पे
देखा दोनों एक ही राह चले जा रहे हैं ।
दो दिन की मुलाकात में ही
मानो जैसे सदियों की मुलाकात हो ,
मंजिल का पता नहीं होता है कभी कभी
फिर भी उस डगमग कठिन राह पे
क्यों चलने को मन करता है ॥
दिल और दिमाग में उलझन होती है
दिल कहता है क़ि आगे बढ़ो ,
वहीँ दिमाग कहता है क़ि यह राह मेरी नहीं
फिर दिल और दिमाग में बहस होती है ....
कभी दिल जीत के खुश हो लेता है
कभी दिमाग खुश हो के मदमस्त होता है ॥
इन दोनों के बीच मैं कहाँ होता हूँ
समझ नहीं पाता हूँ
पर चलता ही जाता हूँ
कभी दिमाग की मान लेता हूँ
तो कभी दिल की ,
कभी द्रढ निश्चय लेता हूँ क़ि
अब बस दिल की नहीं सुनूंगा
उसे हावी नहीं होने दूंगा अपने ऊपर
कितने ही लक्ष्य हैं अभी उन्हें पूरा भी तो करना है
दिल कहता है क़ि गलत ही क्या है ?
दिमाग कहता है क़ि पथ से विचलित होता हूँ ,
दिल कहता है पथ से जो विचलित करे दिल नहीं है वो
ध्यान से सुनो दिल की
कहीं न कहीं दिमाग में भी वही है ...
जो दिल में है ।
फिर आज
कोशिश की दिल और दिमाग को
एक करने की ,
देखा दोनों एक ही भाषा बोलते हैं ,
एक ही पथ पर मंजिल है दोनों की
प्यार और शांति ही चाहते हैं दोनों
मैं मुस्कुराया अपने दिलोदिमाग पे
देखा दोनों एक ही राह चले जा रहे हैं ।
Friday, December 11, 2009
मैं हूँ
अचानक ही एक सवाल आया दिमाग में
क़ि
मैं कौन हूँ ???
सोचता रहा काफ़ी देर तक ...
फ़िर मैं से मैं को निकाला ।
किसी अंधेरे कमरे को रोशन कर दूँ
तो मैं हूँ
किसी रोते हुए बच्चे को हंसा दूँ
तो मैं हूँ
किसी भटके मुसाफिर को राह दिखा दूँ
तो मैं हूँ
किसी भूखे को खाना खिला दूँ
तो मैं हूँ
किसी प्यासे को पानी पिला दूँ
तो मैं हूँ
किसी के दर्द को मरहम लगा दूँ
तो मैं हूँ
किसी के जीवन को संवारने में
अपने जीवन को लगा दूँ
तो मैं हूँ
हाँ ...
शायद यही मैं हूँ !!!
.......................
'जोगी' हूँ :)
क़ि
मैं कौन हूँ ???
सोचता रहा काफ़ी देर तक ...
फ़िर मैं से मैं को निकाला ।
किसी अंधेरे कमरे को रोशन कर दूँ
तो मैं हूँ
किसी रोते हुए बच्चे को हंसा दूँ
तो मैं हूँ
किसी भटके मुसाफिर को राह दिखा दूँ
तो मैं हूँ
किसी भूखे को खाना खिला दूँ
तो मैं हूँ
किसी प्यासे को पानी पिला दूँ
तो मैं हूँ
किसी के दर्द को मरहम लगा दूँ
तो मैं हूँ
किसी के जीवन को संवारने में
अपने जीवन को लगा दूँ
तो मैं हूँ
हाँ ...
शायद यही मैं हूँ !!!
.......................
'जोगी' हूँ :)
Tuesday, December 8, 2009
क्या लिखूं !!!
क्या लिखूं
सोच रहा हूँ ...
सरहदें
इंसानियत
बादल
प्यास
धरती
आकाश
नदिया
समंदर
सूरज
और
एक छोटा सा दीपक
रात के अंधेरे में एक कोने को रोशन करता हुआ
सूरज से कहीं बड़ा प्रतीत हो रहा है ....
सोच रहा हूँ ...
सरहदें
इंसानियत
बादल
प्यास
धरती
आकाश
नदिया
समंदर
सूरज
और
एक छोटा सा दीपक
रात के अंधेरे में एक कोने को रोशन करता हुआ
सूरज से कहीं बड़ा प्रतीत हो रहा है ....
Saturday, December 5, 2009
भीड़
ये कैसी भीड़ है ॥
ख़ामोशी कोई नही समझता
चिल्लाओ तो भी कोई नही सुनता
सब साथ साथ चल रहे हैं
पर लगता है
साथ हो के भी कोई नही है साथ में
ये कैसी भीड़ है ...
जिसमें सिर्फ़ तन्हाई है ....
ख़ामोशी कोई नही समझता
चिल्लाओ तो भी कोई नही सुनता
सब साथ साथ चल रहे हैं
पर लगता है
साथ हो के भी कोई नही है साथ में
ये कैसी भीड़ है ...
जिसमें सिर्फ़ तन्हाई है ....
Thursday, December 3, 2009
सूरज के आने से पहले
कभी तो सुबह से पहले
सूरज के आने से पहले
सवेरा करे दें ...
चलो सब दीपक बन के
धरती को प्रकाशित कर दें ,
ख़त्म कर दें हर एक तम को
सबको ले चलें एक नए
उजाले की ओर
सूरज के आने से पहले ....
सपनों की उड़ान :)
चलो चलें
उड़ चलें
पंख फैलाएं
नए सपनों की उड़ान भरें
उन्मुक्त नील गगन में
चलो तुम भी मेरे साथ ही ...
एक ही राह पे चलें
एक ही मंजिल की ओर
एक साथ ही बादल को छुएं
एक साथ ही तारों तक पहुंचें
चलो तुम भी मेरे साथ ही
बाहों को फैलाएं
सपनों को हकीकत बनाएं
चलो चलें
उड़ चलें ....
Monday, November 30, 2009
...........
किसी के पावं का काँटा
निकाल के तो देखो ,किसी रोते हुए चेहरे को
हंसा कर के तो देखो ,
अपने से पहले किसी भूखे
को खिला कर के तो देखो ,
किसी हारे थके साथी को
गले से लगा के तो देखो ,
तुम्हारे दिल का दर्द भी कम होगा
किसी के दर्द को कम करके तो देखो ।
Friday, November 13, 2009
................
Far away there in the sunshine
are my highest aspirations and goals
I may not reach them,
but
I can look up
and see their beauty...
I can feel them in my heart...
Believe in them and try to follow them...
Try to follow them and TRY to achieve them ...
are my highest aspirations and goals
I may not reach them,
but
I can look up
and see their beauty...
I can feel them in my heart...
Believe in them and try to follow them...
Try to follow them and TRY to achieve them ...
Tuesday, November 3, 2009
चाँद और पूर्णिमा
रात को सोने लगा तो देखा
कि कोई खिड़की से झाँक रहा है ,
कमरे में दूधिया रोशनी भी फैली है ..
देखा तो चाँद बाहर मुस्कुरा रहा था ,
पूरा गोल चाँद ,
बिलकुल वैसा जैसा कि
सर्कल बनाते थे बचपन में
इतना सुन्दर किसने बनाया इसे ...
मेरे अन्दर का बचपन जागा
चंदा मामा ....
कितने सुहाने दिन थे ,
आज चाँद को देखकर वही याद आया ...
और मुस्कुरा दिया ,
जल्दी ही बडा भी हो गया मैं
लगा कि
जीवन भी पूर्णिमा और अमावस
की तरह बदलता रहता है ,
अमावस की रात जैसे
दुःख,विरह के पलों के बाद
पूर्णिमा की चांदनी रात
भी आनी ही होती है ...
पर हम चाँद और पूर्णिमा
के अलावा ही कहीं मग्न हैं,
जीवन की भाग दौड़ में ,
सुबह शाम में ...
अच्छा हो कि
कुछ लक्ष्य हो आँखों में
कुछ सपने हों आँखों में ...
और फिर उन्हें हासिल करें
फिर वो दिन जब सपने पूरे हों
वो दिन ही चाँद और पूर्णिमा
बन जाएगा...
महसूस करके देखिये जरा ....
जीवन सफलता से महकने लगेगा ...
कि कोई खिड़की से झाँक रहा है ,
कमरे में दूधिया रोशनी भी फैली है ..
देखा तो चाँद बाहर मुस्कुरा रहा था ,
पूरा गोल चाँद ,
बिलकुल वैसा जैसा कि
सर्कल बनाते थे बचपन में
इतना सुन्दर किसने बनाया इसे ...
मेरे अन्दर का बचपन जागा
चंदा मामा ....
कितने सुहाने दिन थे ,
आज चाँद को देखकर वही याद आया ...
और मुस्कुरा दिया ,
जल्दी ही बडा भी हो गया मैं
लगा कि
जीवन भी पूर्णिमा और अमावस
की तरह बदलता रहता है ,
अमावस की रात जैसे
दुःख,विरह के पलों के बाद
पूर्णिमा की चांदनी रात
भी आनी ही होती है ...
पर हम चाँद और पूर्णिमा
के अलावा ही कहीं मग्न हैं,
जीवन की भाग दौड़ में ,
सुबह शाम में ...
अच्छा हो कि
कुछ लक्ष्य हो आँखों में
कुछ सपने हों आँखों में ...
और फिर उन्हें हासिल करें
फिर वो दिन जब सपने पूरे हों
वो दिन ही चाँद और पूर्णिमा
बन जाएगा...
महसूस करके देखिये जरा ....
जीवन सफलता से महकने लगेगा ...
Tuesday, October 20, 2009
मैं ......
मैं चला तो हूँ आंखों में
अनगिनत सपने ले के ,
देखता हूँ कितने होंगे पूरे
और कितने रहेंगे अधूरे ।
बहुत साथी थे साथ में
एक एक कर छोड़ के जाते भी रहे ,
कुछ नए मिले भी
जो हमेशा सदा साथ देने को कहते रहे ।
मैं क्या कहता ,
बस मुस्कुरा देता और
छोड़ के जाने वालों को
इस बहाने से याद भी कर ही लेता ।
देखता हूँ जिंदगी कहाँ
ले के जायेगी ,
कितने रोते हुए चेहरों पे
मुस्कुराहटें ले के आएगी ।
साथी क्यूँ नही मिल रहा कोई
जो दूर तक साथ चले ,
कोई न मिले तो क्या नही चलूँगा मैं ,
नही नही ,
चलना ही तो नियति है ,
कोई नही मिला तो चला जाऊंगा अकेला ही
अपने इस सफर पे ,
अगर मिल गया तो खुशकिस्मत समझूंगा मैं
शायद कुछ जीवन संवारने के ,
अपने मकसद को पूरा कर ही लूँगा मैं
जिंदगी में आशा ,उम्मीद ,हिम्मत और विश्वास
के साथ आगे बढ़ता ही रहूँगा मैं .....
मैं ...
Saturday, October 17, 2009
....जिंदगी .....
जिन्दगी एक फूल है ,जो कभी खिलता है तो कभी मुरझाता है ।
जिन्दगी एक झरना है जो कभी बहता है तो कभी सूख जाता है
जिन्दगी एक गाड़ी है जो कभी चलती है तो कभी रुक जाती है
जिन्दगी एक सपना है जो कभी दिखाई देता है तो कभी टूट जाता है ,
जिन्दगी एक सूरज है जो कभी दिखता है तो कभी छुप जाता है
जिन्दगी एक मोसम है जिसमे कभी बसंत तो कभी पतझड़ आता है
जिन्दगी एक एहसास है जो मुझे बहुत बार,
तेरे न होते भी
तेरे होने का एहसास करवाता है ।
जिन्दगी एक झरना है जो कभी बहता है तो कभी सूख जाता है
जिन्दगी एक गाड़ी है जो कभी चलती है तो कभी रुक जाती है
जिन्दगी एक सपना है जो कभी दिखाई देता है तो कभी टूट जाता है ,
जिन्दगी एक सूरज है जो कभी दिखता है तो कभी छुप जाता है
जिन्दगी एक मोसम है जिसमे कभी बसंत तो कभी पतझड़ आता है
जिन्दगी एक एहसास है जो मुझे बहुत बार,
तेरे न होते भी
तेरे होने का एहसास करवाता है ।
Tuesday, October 13, 2009
एहसास ...
***************************
एक अजीब सा खुमार छाया है ,
लगता है कि आस पास ही हो तुम,
एक अजीब सा एहसास है तुम्हारा,
जो सदा आस पास रहता है मेरे ....
तेरे पास ही तो हूँ मैं ,
पहचान मुझे तेरी ही परछाई हूँ मैं ,
हमेशा तेरे साथ ही तो हूँ मैं ,
तभी तो एक मीठा सा एहसास हूँ मैं ...
****************************
एक अजीब सा खुमार छाया है ,
लगता है कि आस पास ही हो तुम,
एक अजीब सा एहसास है तुम्हारा,
जो सदा आस पास रहता है मेरे ....
तेरे पास ही तो हूँ मैं ,
पहचान मुझे तेरी ही परछाई हूँ मैं ,
हमेशा तेरे साथ ही तो हूँ मैं ,
तभी तो एक मीठा सा एहसास हूँ मैं ...
****************************
Thursday, September 24, 2009
...................
यह निरूदेशय जीवन मुझे स्वीकार नही
मुझे स्वीकार नही यह कठिनाइयों से रीता जीवन
मुझे तो अभी उड़ना है ,
अपनी सबसे ऊँची उड़ान ॥
कठिनाइयों को परखना है
पहाडों को फांदना है ॥
कितने ही अभागे हैं इस संसार में
उनके साथ भी तो चलना है
उनके दर्द को महसूस करके
उन्हें असीम प्रेम भी तो देना है ॥
तभी शायद सफल होगा ये जीवन
ये निर्रुदेशय जीवन ॥
मुझे स्वीकार नही यह कठिनाइयों से रीता जीवन
मुझे तो अभी उड़ना है ,
अपनी सबसे ऊँची उड़ान ॥
कठिनाइयों को परखना है
पहाडों को फांदना है ॥
कितने ही अभागे हैं इस संसार में
उनके साथ भी तो चलना है
उनके दर्द को महसूस करके
उन्हें असीम प्रेम भी तो देना है ॥
तभी शायद सफल होगा ये जीवन
ये निर्रुदेशय जीवन ॥
जीवन :)
एक तारीख और बदल गई
एक सवेरा और आ गया,
सुबह से शाम हुई
और फ़िर शाम से सुबह हो गई
इंसां लगा रहता है जिंदगी की दौड़ धुप में
दो वक्त की रोटी की चाहत में
कोई हल चलाता है तो कोई
चन्द्र यान चलाता है ,
पर सोचता हूँ मैं आजकल
इस भाग दौड़ में ,सुबह शाम में
इंसां जीता कब है ??
क्या यही जीना है ??
निरुद्देश्य जीवन !!!
क्या कभी देखा अपने अन्दर झाँक के
कि मैं कौन हूँ ...
क्या उद्देश्य है इस जनम का,
शायद कभी सोचने का वक्त नही है ...
अरे याद आया !!!
घर राशन ले के जाना है और
हाँ, बिजली का बिल भी तो भरना है ॥
चलो अपने बारे में फ़िर कभी सोचेंगे...
सुबह और शाम की ख़बर भी ले लेंगे
जल्दी क्या है ॥
जी लेंगे ॥
एक सवेरा और आ गया,
सुबह से शाम हुई
और फ़िर शाम से सुबह हो गई
इंसां लगा रहता है जिंदगी की दौड़ धुप में
दो वक्त की रोटी की चाहत में
कोई हल चलाता है तो कोई
चन्द्र यान चलाता है ,
पर सोचता हूँ मैं आजकल
इस भाग दौड़ में ,सुबह शाम में
इंसां जीता कब है ??
क्या यही जीना है ??
निरुद्देश्य जीवन !!!
क्या कभी देखा अपने अन्दर झाँक के
कि मैं कौन हूँ ...
क्या उद्देश्य है इस जनम का,
शायद कभी सोचने का वक्त नही है ...
अरे याद आया !!!
घर राशन ले के जाना है और
हाँ, बिजली का बिल भी तो भरना है ॥
चलो अपने बारे में फ़िर कभी सोचेंगे...
सुबह और शाम की ख़बर भी ले लेंगे
जल्दी क्या है ॥
जी लेंगे ॥
Sunday, September 6, 2009
हे प्रभु मेरे !!!
हे प्रभू मेरे ,
सबको ले चलो एक नए संसार की ओर,
शापित अंधेरे से उत्साहित प्रकाश की ओर
कितने नाम हैं तेरे अल्लाह ,राम ,नानक ,यीशु
कितने ही हैं दुखियारे इस संसार में,
सबको ले लो अपनी शरण में ...
हे प्रभु मेरे,
है अनंत तू इस संसार में चाहे कितने ही हो नाम तेरे
पर संभाल ले इंसान को जिसे है जरुरत तेरी,
जो है भूखा ,प्यासा और बीमार
कर दे उनका भी भला ,मत रख शापित उनको
सबको ले लो अपनी शरण में ...
हे प्रभु मेरे
करो कृपा इस संसार पे
ले लो एक और अवतार
अल्लाह ,राम,नानक और यीशु
बना दो इनको एक अब ,
सब एक ईश्वर को एक ही समझे...
कर दो सबका कल्याण,
सबको ले लो अपनी शरण में ...
हे प्रभु मेरे !!!
Sunday, August 30, 2009
Book @life
Finally i have started writing my first book...dont know how to go but i just started. Let's see how it goes..have some story in mind...trying to write whatever comes in the mind... As it had been said that ,"A journey of thousand miles starts with a single step." i have taken the first step to start it .Let's see the journey to destination :)
जिंदगी
जिंदगी एक एहसास है
पावन सा निश्छल सा
ग़मों की फुल्झडियां हैं
खुशियों की बौछार है...
जिंदगी एक अहसास है
कभी न हारो,कभी न थको
चलते रहो अविचलित इस पथ पर
जिंदगी के साथ में
लिए हाथों को हाथ में
जो हैं अकेले उन्हें न भूलो
ले चलो उन्हें भी अपने साथ में
अंधकार से प्रकाश की ओर
उन्हें है जरुरत तुम्हारी
मत चलो अकेले इस सुहाने सफर में ...
जैसे ही चलोगे साथ में
झांकना अपने हृदय में
मिलेगा सकून इस काम से ...
चलते चलो चलते चलो
जिंदगी की पावन राह में ....
पावन सा निश्छल सा
ग़मों की फुल्झडियां हैं
खुशियों की बौछार है...
जिंदगी एक अहसास है
कभी न हारो,कभी न थको
चलते रहो अविचलित इस पथ पर
जिंदगी के साथ में
लिए हाथों को हाथ में
जो हैं अकेले उन्हें न भूलो
ले चलो उन्हें भी अपने साथ में
अंधकार से प्रकाश की ओर
उन्हें है जरुरत तुम्हारी
मत चलो अकेले इस सुहाने सफर में ...
जैसे ही चलोगे साथ में
झांकना अपने हृदय में
मिलेगा सकून इस काम से ...
चलते चलो चलते चलो
जिंदगी की पावन राह में ....
Belief !!!
I have never given up in life
i have always defeated ...
these circumstance and the false traditions of the society,
n i ll do the same in future...
i ll never be defeated and let be defeated
my heart ...
My Heart !
which gets confused sometimes,
puzzled sometimes
feels defeated by circumstances sometimes
but i know
whatever happen
The night may be the darkest ...a shining start is there
always there
m also like the same shining star
a Star having a lot of confidence
and having courage,braveness and unbreakable HOPE
n i ll go to the final destination
i have the belief...
the belief...
the belief...
आरजू ..
किसी अंधेरे कोने को
रोशन करने की आरजू है ...
किसी रोते हुए बच्चे को
हंसाने की आरजू है ...
किसी प्यासे पथिक को
पानी पिलाने की आरजू है ...
एक भूखे मुसाफिर को
खिलाने की आरजू है ...
अपनी जिंदगी से
क्यों इतनी आरजू हैं ,
अब जी लिए बहुत , ऐ दिल
थोड़ा सा मर जाने की आरजू है !!!
Wednesday, August 19, 2009
जब सारी दुनिया सोती है :)
जब रात को दुनिया सोती है ,
हम ऑफिस जाया करते हैं...
जब सारी दुनिया रोती है
हम गाना गाया करते हैं ...
वीरान नही सुनसान नही
पर लगता शमशान सा सन्नाटा ...
क्या सोचा था क्या निकला है
अब और करेगा क्या टाटा :)
कोई कांप रहा सर्दी से थर थर
उसके सर पे हम छाया करते हैं
जब सारी दुनिया सोती है
हम ऑफिस जाया करते हें
कोई बात करे न बात सुने
पर फ़ोन बजे तो हंगामा
जब कॉल चले सब ठीक ठाक
जब फ़ोन कटे फ़िर विराना ...
अब काम बचा क्या और लाइफ में
पिक्चर निपटाया करते हें ...
जब सारी दुनिया सोती है
हम ऑफिस जाया करते हैं
Copyright: Shashi & Jogi :)
Tuesday, August 18, 2009
Friday, August 14, 2009
मुसाफिर
कहीं और का मुसाफिर हूँ
कहीं और ही चला आया हूँ...
जाने कहाँ तक जाऊंगा
किस मंजिल पर जाऊंगा और
और कौन मुसाफिर मिलेंगे इस राह पे
और कौन मुसाफिर मिलेंगे इस राह पे
कहीं उनकी भी कोई और मंजिल न हो जाए ...
कहीं और ही चला आया हूँ...
जाने कहाँ तक जाऊंगा
किस मंजिल पर जाऊंगा और
और कौन मुसाफिर मिलेंगे इस राह पे
और कौन मुसाफिर मिलेंगे इस राह पे
कहीं उनकी भी कोई और मंजिल न हो जाए ...
दर्द
तुम दर्द से परिचय को तरसते
अगर
वो रोने और सिसकने के बहाने नही देता !!!
*********************************
अन्दर बाहर बड़ी घुटन है ...
क्षण यह जीना क्यूँ इतना कठिन है ...
अंगारों पे राख जमीं है
फ़िर भी तपिश क्यूँ लग रही है !!!
*********************************
अगर
वो रोने और सिसकने के बहाने नही देता !!!
*********************************
अन्दर बाहर बड़ी घुटन है ...
क्षण यह जीना क्यूँ इतना कठिन है ...
अंगारों पे राख जमीं है
फ़िर भी तपिश क्यूँ लग रही है !!!
*********************************
प्रकृति
चलो चलते हैं कहीं दूर
इस संसार से !!
जाना कहाँ है समझ नही आता
पर जाना है !!!
वो मंजिल जो पुकार रही है दूर से मुझे
वो नदिया, पहाड़ , झरने
प्रकृति
बुला रहे हैं मुझे अपने पास,
पता नही कब जाऊंगा ...
पर शायद चला जाऊंगा !!!
इस संसार से !!
जाना कहाँ है समझ नही आता
पर जाना है !!!
वो मंजिल जो पुकार रही है दूर से मुझे
वो नदिया, पहाड़ , झरने
प्रकृति
बुला रहे हैं मुझे अपने पास,
पता नही कब जाऊंगा ...
पर शायद चला जाऊंगा !!!
शुरूवात तो हुई !!!
Want to write a lot of things ..but sometimes got confused...what to write??
want to do something different,want to live a different life ...searching for the different dimensions of life...sometimes lost in myself...sometimes lost in the world..sometimes having a lot of words...sometimes there are no words to express ..But still..
लिखने की शुरुवात तो हो गई !!! Thats good :)
want to do something different,want to live a different life ...searching for the different dimensions of life...sometimes lost in myself...sometimes lost in the world..sometimes having a lot of words...sometimes there are no words to express ..But still..
लिखने की शुरुवात तो हो गई !!! Thats good :)
चलो चलें : संस्कृति गीत
चलो चलें कि एक नया
आसमान पुकार रहा है हमें
चलो चलें की सपने सारे
पुकार रहे हैं हमें
चलो चलें कि रास्ते सारे
पुकार रहे हैं हमें
चलो चलें कि मंजिलें सारी
निहार रही हैं हमे
चलो चलें कि मानवता सारी
देख रही है हमें
चलो चलें कि करुना ,दया के
सपनों को रखना है जिन्दा हमें
चलो चलें कि हार न जाए
मानवता इस संसार में
चलो चलें कि आशा का एक दीपक
साथ हमारे है इस राह में
चलो चलें एक नए आयाम की ओर
एक नए आसमान की ओर
चलो चलें !!!
Wednesday, August 12, 2009
sometimes ...
Sometimes i used to think whether civilization is something more than making and spending of money.What else a civilized man do ?? A man used to earn and spend the money for all of his life..Is this just the aim of life or something else ?? What s say ???
"Let me dream ...
Let me dream to fly...
Let me dream to learn...
Great future is waiting for me ...
n
calling me
come ...come..
come in the world that you want ...
Create a world that you want !!! "
आशा की किरण
अभी वक्त नही हुआ है
वक्त नही हुआ है हारने का
कल का सवेरा बाकि है
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त
चलते जायेंगे मंजिल की ओर
बिना थके बिना डरे
निडर और सच्चे बन कर जीते रहेंगे क्योंकि
आशा की एक किरण बाकी है मेरे दोस्त
मत विचलित हो पथिक
इन कठिन दुर्गम राहों में
लायेगा कल का सूरज एक मधुर उजाला क्योंकि
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त
चलते जाना इस जीवन की राह में
फूल ओर कांटें मिलेंगे दोनों इस राह में
पर काँटों से न डरना मेरे दोस्त क्योंकि
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त ....
वक्त नही हुआ है हारने का
कल का सवेरा बाकि है
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त
चलते जायेंगे मंजिल की ओर
बिना थके बिना डरे
निडर और सच्चे बन कर जीते रहेंगे क्योंकि
आशा की एक किरण बाकी है मेरे दोस्त
मत विचलित हो पथिक
इन कठिन दुर्गम राहों में
लायेगा कल का सूरज एक मधुर उजाला क्योंकि
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त
चलते जाना इस जीवन की राह में
फूल ओर कांटें मिलेंगे दोनों इस राह में
पर काँटों से न डरना मेरे दोस्त क्योंकि
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त ....
Tuesday, August 11, 2009
है विश्वास !!!
कभी हार न मानी है मैंने
हमेशा हराया ही है ,
इन परिस्थितियों को ,इस समाज की रुढिवादी दीवारों को
और आगे भी यही करूंगा
न हारूंगा और न ही हारने दूँगा ..
अपने इस मन को
जो कभी कभी चंचल हो जाता है,
हार जाता है इस दुनिया के सामने , परिस्थितयों के सामने
पर जानता हूँ
कुछ भी हो
रात कितनी भी काली हो ...एक तारा हमेशा ही चमकता रहता है ,
वैसा ही हूँ मैं
एक तारा जिसके मन में है विश्वास
और
और है साहस ,हिम्मत और अटूट आशाओं की लड़ियाँ
और चला जाऊंगा मंजिल की और
मुझे है विश्वास
है विश्वास
है विश्वास !!
हमेशा हराया ही है ,
इन परिस्थितियों को ,इस समाज की रुढिवादी दीवारों को
और आगे भी यही करूंगा
न हारूंगा और न ही हारने दूँगा ..
अपने इस मन को
जो कभी कभी चंचल हो जाता है,
हार जाता है इस दुनिया के सामने , परिस्थितयों के सामने
पर जानता हूँ
कुछ भी हो
रात कितनी भी काली हो ...एक तारा हमेशा ही चमकता रहता है ,
वैसा ही हूँ मैं
एक तारा जिसके मन में है विश्वास
और
और है साहस ,हिम्मत और अटूट आशाओं की लड़ियाँ
और चला जाऊंगा मंजिल की और
मुझे है विश्वास
है विश्वास
है विश्वास !!
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