Sunday, November 21, 2010




इन अंधेरों में
एक तो किरण उजाले की हो ...
देख रहा हूँ चहूँ ओर
ना ही राह दिखे ना मंजिल कोई .

इस निराशा के घनघोर बदली में
एक तो किरण आशा की हो
अंधकार घना ही होता जा रहा है ,
पथिक हारता ही जा रहा है ...

कोई तो आये ,
कोई तो राह दिखाए ..
घने अंधकार को चीरती एक किरण
आशा से भरी एक किरण ...

पर जब नियति ही यही है ,
चलना मुझे अकेले है ...
गिरना है,संभलना है
उठ कर फिर से चलना है ..

सपने अनंत राहों में ,
अंधेरों में उजालों के
राह तकें मेरी मंजिलें
फिर क्यों राह देखूं किसी की ,
चलूँ खुद ही ,
उठूँ आज फिर ,
तोडूं चक्रव्यूह अर्जुन बन ,
बनूँ विजयी अनंत काल तक...

Tuesday, September 14, 2010

जिंदगी पल पल बदलती है ....
कभी सुबह तो कभी शाम सी लगती है ..
कभी गम तो कभी ख़ुशी ,
जिंदगी हर पल इम्तिहान लेती है ..

कभी ख्वाहिशें उड़ने लगती हैं पर लगायें ,
कभी सपने भी बिखरते लगते हैं,
हर एक पल में कुछ नया करने को
जिंदगी हर कदम पे प्रेरणा देती है ...

कभी इंसां परेशां होता है ...
कभी जिंदगी खुद ही परेशां होती है ...
इस कशमो कश, समय
टिक टिक करके चलता रहता है ,
पता नही कब बदल जाता है सब किसी पल ,
जिंदगी पल पल बदलती रहती है ...

Saturday, July 31, 2010

...........


मैं एक टूटे हुए तारे के लिए
आसमां को ढूंढता हूँ ...
मैं हर बुझते हुए चिराग में
रोशनी को ढूंढता हूँ ...
मैं तूफ़ान में तैरने वाले के लिए
साहिल को ढूंढता हूँ ...
इस वीरान इंसानों के जंगल में
मैं सबके लिए शांति को ढूंढता हूँ ...

मैं एक टूटे हुए तारे के लिए ...
आसमां को ढूंढता हूँ ..









Monday, July 19, 2010

खुद को पाना है !!!




शब्दों से पार जाना है ,
कभी तो खुद को पाना है ...

निर्झर झरने सा बहना है ,
कभी तो खुद को पाना है ...

बहता दरिया बन ,
सागर में मिल जाना है ,
कभी तो खुद को पाना है ...

Monday, July 12, 2010

एक जहाँ मेरा भी ...


एक अजीब सा खालीपन
एक असहाय सा होने का एहसास...
सब कुछ है ..
पर कुछ कमीं सी है ...
जिंदगी चलता हुआ एक कारवां ...
और हम सब मुसाफिर ...

किसी की कोई मंजिल
तो किसी का अपना एक जहां
मेरा जहाँ कहाँ है ...
सोचता हूँ कभी कभी ...
आज फिर अपने से ही ये प्रशन किया
पर प्रत्योत्तर में कुछ ना मिला ....

बस लगता है ...
कहीं और का ही मुसाफिर हूँ ...
एक जहाँ मेरा भी है कहीं ...
शायद इस संसार से दूर कहीं ...
यहाँ का हूँ नही शायद ,पर होता हूँ यहीं कहीं ही
कहीं और का हूँ , पर होता नही हूँ वहाँ पर ...

कभी कभी एक हूक सी उठती है मन में ....
कहीं चले जाने को उतावला होता है मन ,
जाने कहाँ,
शायद अपने ही उस संसार में ...
जहाँ मुझे लगे
ये जहाँ मेरा ही है ...
मैं यहीं का हूँ
और ये जहाँ भी मेरा ही है ...

Thursday, July 1, 2010

मुझे बढ़ना ही होगा ...


डगमग डगमग राहों पे ,
मैं चला ही जा रहा हूँ ...
कुछ ऊँची कुछ नीची राहों पे
मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ ...

मैं चला था कल अकेला ,
कोई आया कोई चला गया ,
अंतर्द्वंद से कोई भरा रहा ,पर
मैं बढ़ता ही चला गया ...

पीछे मुड के देखा जब ,अब
कोई साथी ना दिख पाया
देखा साथ में कौन है ....
बस अपने को ही मैंने पाया ,
आगे बढ़ने की सोची तो
मंजिल एक नई चुनी
सोचा चलना चाहिए अब
सोचा बढ़ना चाहिए अब

हाँ ,
डगमग डगमग राहों पे ,
मुझे बढ़ना ही होगा ...
कुछ ऊँची कुछ नीची राहों पे
मुझे बढ़ना ही होगा ...


Wednesday, May 26, 2010

...........................

कई बार मन कितना उलझ जाता है ,

कोई राह नही , कोई साथी नही ...

क्यों फिर भी चलना होता है ...

मैं चला तो था सपने अनगिनत ले के

जाने क्या कैसे क्यों बदलता जा रहा है

मैं 'मैं' नही हूँ लगता है

कभी कभी मन हार जाता है ,

चाहता है कोई साथी ,

एक सहारा ,

जिसकी गोद में छिप जाने को मन करता है ,

आंसुओं से वो गोद भिगो देने का मन करता है ,

लगता है कभी कभी ,

हार जाता है मन ...

मेरा उत्साही और आशावादी मन !!!

Friday, May 7, 2010

Silence

Silence speaks
Silence laughs
Silence feels
Silence weeps too...
Silence cries
Silence joys
Silence smiles
Silence sometimes becomes silent too...
Whenever feel silence
somewhere down the heart
It felt like something
somebody blooming inside...
Learn sometimes
Feel sometimes
Silence gives power too..
Silence blooms too..
Silence ...

Thursday, April 15, 2010

मन

विचारों की उधेड़बुन में
कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है मन ,
हम सोचते रहते हैं
क़ि हम कहाँ हैं ...
हम यहाँ हैं , हम वहां हैं
हम कहाँ कहाँ हैं ?

कभी उन्मुक्त पंछी जैसा
आसमान में उड़ता लगता है ,
कभी मदमस्त हाथी जैसा
जंगल में घूमता है ।

तो कभी भंवरे जैसा बन
फूलों पर मंडराता है ,
कभी प्रकृति जैसा पावन ,निश्छल बन
मदहोश कर देता है ये मन ।

कभी चाहूं मन की मानूं
कभी चाहूं मन मेरी माने
हमारे इस अंतर्द्वंद्व में
कभी हठी मन हारे
तो कभी मैं...

मन
चंचल ,पावन ,निश्छल,हठी
हर एक इंसां को
अद्वितीय निराला बनाता
ये मन ।

Tuesday, April 6, 2010

i missed you !!!

i missed u when i was on top of hill...
snow all around me...
i look around ..to find smthing..
but i cudnt see anything except snow..
thats really sm place ..
where i wanna always go...
i reached there the day before...
but i regret too...
why i was alone there ??
i missed u when i was on top of hill...

Wednesday, March 3, 2010

आज मैं खामोश हूँ !!!

आज मैं खामोश हूँ ,
अपने में खुद को ढूंढता
खुद को पहचानने की कोशिश करता हुआ
मैं खुद ही खुद में खो गया हूँ
मैं खामोश हो गया हूँ

आज लगा
मैं ,
'मैं' नहीं रहा
कितना बदला हूँ मैं
वक़्त ने बदला मुझे
या
मैंने खुद को 'मैं' ही नहीं रहने दिया
आज मैं असहाय सा हूँ
कहीं लगता है खो गया हूँ
मैं 'मैं' को पहचानने की कोशिश में हूँ
आज मैं खामोश हूँ ...

Monday, February 8, 2010

'You'

You are not with me
sometimes i wonder
why you are away
not near me ...

i am feeling you here
besides me as always
come,
Lets be together again

i am missing those days
when we wanted to stop time
that time has flown away
come,
lets try to stop time again

i am missing those days
when we were together
dreaming about our dreams
come,
Lets dream together again...

You are not here

but still i can feel your presence

Yes,

You are with me

today and always ...

'प्रकृति और इंसां

प्रकृति
कितनी पावन
कितनी पवित्र
कितनी निश्छल ,
सिर्फ इंसां के लिए ही है हमेशा ,
कितना कुछ सिखाती है
जीवन के रहस्य बतलाती है ।

पेड़ों को देखो ,
छांव और फल इंसां के लिए
समंदर ,बादल
बारिश करवाते हैं
पहाड़
कल कल नदियाँ बहाते हैं ,

शहर के कोलाहल से दूर
एक झील का किनारा
जो सकून देता है
वो शहरों की भीड़ भरी
मायूस जिंदगी में कहाँ ?
पर इंसां क्यूँ सिर्फ
अपने लिए जीता है ,
'मैं' और 'मैं' में ही जीवन
गुजार देता है ...
क्यूँ ????

Saturday, January 23, 2010

'Yeh mera India' Movie

Just watched a great movie...'Yeh mera India'...nd i really liked it...its a must watch....m sharing the few 'Sher' used in the movie....


किरण चाहूँ तो दुनिया के अँधेरे घेर लेते है
कोई मेरे तरह जी ले तो जीना भूल जायेगा

साथ भी छोडा तो कब,जब सब बुरे दिन कट गए
ज़िन्दगी तुने कहाँ आकर दिया धोखा मुझे

हमें इस चिस्त से उम्मीद क्या थी और क्या निकला
कहाँ जाना हुआ था तय कहाँ से रास्ता निकला
खुदा जिनको समझते थे वो शीशा थे न पत्थर थे
जिसे पत्थर समझते थे वही अपना खुदा निकला

जिसने इस दौर के इन्सान किये है पैदा
वो मेरा भी खुदा होगा मुझे मंज़ूर नहीं ॥

अगर टूटे किसी का दिल ,तो शब् भर आँख रोती है
ये दुनिया है गुलो की जो इसमें काटे पिरोती है
हम मिलते है अपने गाँवों में दुश्मन से भी इठला कर
तुम्हारा शहर देखा तो बड़ी तकलीफ होती है

Friday, January 15, 2010

My Dreams !!!


Sometimes...
i remember those lonely days and nights...
dreaming about ma dreams n goals...

When hopes were high
when dreams were dreams...
when aspirations were flying..
i wanna fly those days...
those days when sky was cloudy
but i didnt give up
i kept on dreaming...
i kept on experimenting and learning
with life and me

today i wonder...
dreams are becoming realities..
n
m flying with new aspiration n goals
new dreams m dreaming...
after achieving the earlier ones...
m again dreaming ma new dreams...
with aspirations as high as sky

i wanna fly higher n higher...
aiming for the new horizons
so that Sometime again..
i ll remember these days n nights...
when m dreaming abt my new dreams n goals !!!

Thursday, January 7, 2010

जीवन चक्र !!!

कुछ शब्द नहीं मिल रहे हैं ,
ढूंढ़ रहा हूँ कुछ मिले लिखने को
लम्बी राह है ,
कठिन डगर है
चलते जाना है ...
बूँद
बारिश
दरिया
सागर
बादल
चलते जाना है
जीवन चक्र में
चक्रव्यूह से पार जाना है
साथ रहना मेरे सफ़र में हमसफर
क्यूंकि
चलते जाना है ...
 
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