Monday, December 21, 2009

सपने !!

कल देखा मैंने तुम्हे करीब से
वैसा ही जैसा मैंने सोचा है
वैसी ही तो हो तुम ,

कल मैंने महसूस किया तुम्हे
अपने आस पास
अपने साथ
वही साथ जो सिर्फ सोचा ही है अब तक ।

समंदर किनारे एक छोटे से घर में
शाम का वक़्त है
दूर कहीं सूरज छिपने वाला है
सुन्दर नजारा है बाहर ।

चलो घुमते हैं बाहर ,मैंने कहा
चल निकले दोनों हम राही
बाहर का समाँ कुछ और था
न तुम तुम थी
न मैं मैं था ...
सिर्फ 'हम ' थे वहां पर ...

कुछ देर बैठे सूरज को देखा
समंदर किनारे रेत में एक
घरौंदा बनाया और
उसके पीछे थी सपनों की एक कतार

तुमने गले लगाया
मुझे लगा क़ि सारा संसार मिला मुझे
फिर कहा क़ि घर चलो
हम वापस समंदर किनारे वाले घर की ओर चले

अचानक आँख खुली
मुस्कुराया और महसूस किया उस
एहसास को जो अब तक मुझमें था
तुमसे गले मिलने का

शायद कुछ सपने सपने ही रहते हैं
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4 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव!

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  2. these r feeling mor thn a dream bt nice

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  3. bahut sunder abhivyakti...aapke sapno me samunder kinare tak meri soche bhi chali gayi...bahut khoob...massom khawahishe. nice sharing.

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