Wednesday, August 12, 2009

आशा की किरण


अभी वक्त नही हुआ है
वक्त नही हुआ है हारने का
कल का सवेरा बाकि है
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त

चलते जायेंगे मंजिल की ओर
बिना थके बिना डरे
निडर और सच्चे बन कर जीते रहेंगे क्योंकि
आशा की एक किरण बाकी है मेरे दोस्त

मत विचलित हो पथिक
इन कठिन दुर्गम राहों में
लायेगा कल का सूरज एक मधुर उजाला क्योंकि
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त

चलते जाना इस जीवन की राह में
फूल ओर कांटें मिलेंगे दोनों इस राह में
पर काँटों से न डरना मेरे दोस्त क्योंकि
आशा की एक किरण बाकि है मेरे दोस्त ....

6 comments:

  1. ye kiran jab tak hai

    ujaale ki kami na hogi.............

    badhaai .....
    abhinav kavita !

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  2. Bhagwaan na kare, haar ne kaa kabhee waqt aaye..!

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://shama-kahanee.blogspot.com

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  3. सुन्दर रचना....

    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

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  4. Very promising lines full of optimism, my best wishes for a bright future.
    Yours thankfully
    dr.bhoopendra

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