Thursday, December 31, 2009

नया साल

नया साल है ,
पर नया क्या है ?
वहीँ पुराना इंसां तो होता है ...
चेहरे पे मुस्कान लिए
सबको मुबारकबाद कहता है ,
पर नया क्या है ...
वही सुबह
वही सूरज
वही इंसां
वही रोज का काम धंधा ,
सिर्फ तारीख बदली
पर इंसां नहीं बदला ,
बेहतर हो क़ि हर दिन को नया साल बनाया जाये
हर दिन नए सपने बुनें जायें
हर दिन नई आशा से भरा हो
हर दिन को जी भर के जियें
हर दिन को नया साल बनाएं ,
चलो सबको बतलाएं
हर दिन एक नया साल ले के आयें ...

Monday, December 21, 2009

सपने !!

कल देखा मैंने तुम्हे करीब से
वैसा ही जैसा मैंने सोचा है
वैसी ही तो हो तुम ,

कल मैंने महसूस किया तुम्हे
अपने आस पास
अपने साथ
वही साथ जो सिर्फ सोचा ही है अब तक ।

समंदर किनारे एक छोटे से घर में
शाम का वक़्त है
दूर कहीं सूरज छिपने वाला है
सुन्दर नजारा है बाहर ।

चलो घुमते हैं बाहर ,मैंने कहा
चल निकले दोनों हम राही
बाहर का समाँ कुछ और था
न तुम तुम थी
न मैं मैं था ...
सिर्फ 'हम ' थे वहां पर ...

कुछ देर बैठे सूरज को देखा
समंदर किनारे रेत में एक
घरौंदा बनाया और
उसके पीछे थी सपनों की एक कतार

तुमने गले लगाया
मुझे लगा क़ि सारा संसार मिला मुझे
फिर कहा क़ि घर चलो
हम वापस समंदर किनारे वाले घर की ओर चले

अचानक आँख खुली
मुस्कुराया और महसूस किया उस
एहसास को जो अब तक मुझमें था
तुमसे गले मिलने का

शायद कुछ सपने सपने ही रहते हैं
.................................................

दिल और दिमाग !!!

क्यों कोई अंजाना अपना सा लगने लगता है
दो दिन की मुलाकात में ही
मानो जैसे सदियों की मुलाकात हो ,
मंजिल का पता नहीं होता है कभी कभी
फिर भी उस डगमग कठिन राह पे
क्यों चलने को मन करता है ॥

दिल और दिमाग में उलझन होती है
दिल कहता है क़ि आगे बढ़ो ,
वहीँ दिमाग कहता है क़ि यह राह मेरी नहीं
फिर दिल और दिमाग में बहस होती है ....
कभी दिल जीत के खुश हो लेता है
कभी दिमाग खुश हो के मदमस्त होता है ॥

इन दोनों के बीच मैं कहाँ होता हूँ
समझ नहीं पाता हूँ
पर चलता ही जाता हूँ
कभी दिमाग की मान लेता हूँ
तो कभी दिल की ,

कभी द्रढ निश्चय लेता हूँ क़ि
अब बस दिल की नहीं सुनूंगा
उसे हावी नहीं होने दूंगा अपने ऊपर
कितने ही लक्ष्य हैं अभी उन्हें पूरा भी तो करना है

दिल कहता है क़ि गलत ही क्या है ?
दिमाग कहता है क़ि पथ से विचलित होता हूँ ,
दिल कहता है पथ से जो विचलित करे दिल नहीं है वो
ध्यान से सुनो दिल की
कहीं न कहीं दिमाग में भी वही है ...
जो दिल में है ।

फिर आज
कोशिश की दिल और दिमाग को
एक करने की ,
देखा दोनों एक ही भाषा बोलते हैं ,
एक ही पथ पर मंजिल है दोनों की
प्यार और शांति ही चाहते हैं दोनों
मैं मुस्कुराया अपने दिलोदिमाग पे
देखा दोनों एक ही राह चले जा रहे हैं ।

Friday, December 11, 2009

मैं हूँ

अचानक ही एक सवाल आया दिमाग में
क़ि
मैं कौन हूँ ???
सोचता रहा काफ़ी देर तक ...
फ़िर मैं से मैं को निकाला ।

किसी अंधेरे कमरे को रोशन कर दूँ
तो मैं हूँ
किसी रोते हुए बच्चे को हंसा दूँ
तो मैं हूँ
किसी भटके मुसाफिर को राह दिखा दूँ
तो मैं हूँ
किसी भूखे को खाना खिला दूँ
तो मैं हूँ
किसी प्यासे को पानी पिला दूँ
तो मैं हूँ
किसी के दर्द को मरहम लगा दूँ
तो मैं हूँ
किसी के जीवन को संवारने में
अपने जीवन को लगा दूँ
तो मैं हूँ

हाँ ...
शायद यही मैं हूँ !!!
.......................
'जोगी' हूँ :)

Tuesday, December 8, 2009

क्या लिखूं !!!

क्या लिखूं
सोच रहा हूँ ...
सरहदें
इंसानियत
बादल
प्यास
धरती
आकाश
नदिया
समंदर
सूरज
और
एक छोटा सा दीपक
रात के अंधेरे में एक कोने को रोशन करता हुआ
सूरज से कहीं बड़ा प्रतीत हो रहा है ....

Saturday, December 5, 2009

भीड़

ये कैसी भीड़ है ॥
ख़ामोशी कोई नही समझता
चिल्लाओ तो भी कोई नही सुनता

सब साथ साथ चल रहे हैं
पर लगता है
साथ हो के भी कोई नही है साथ में
ये कैसी भीड़ है ...
जिसमें सिर्फ़ तन्हाई है ....

Thursday, December 3, 2009

सूरज के आने से पहले

कभी तो सुबह से पहले
सूरज के आने से पहले
सवेरा करे दें ...

चलो सब दीपक बन के
धरती को प्रकाशित कर दें ,
ख़त्म कर दें हर एक तम को
सबको ले चलें एक नए
उजाले की ओर
सूरज के आने से पहले ....

सपनों की उड़ान :)


चलो चलें
उड़ चलें
पंख फैलाएं
नए सपनों की उड़ान भरें
उन्मुक्त नील गगन में
चलो तुम भी मेरे साथ ही ...

एक ही राह पे चलें
एक ही मंजिल की ओर
एक साथ ही बादल को छुएं
एक साथ ही तारों तक पहुंचें

चलो तुम भी मेरे साथ ही
बाहों को फैलाएं
सपनों को हकीकत बनाएं
चलो चलें
उड़ चलें ....
 
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