एक अजीब सा खालीपन एक असहाय सा होने का एहसास...
सब कुछ है ..
पर कुछ कमीं सी है ...
जिंदगी चलता हुआ एक कारवां ...
और हम सब मुसाफिर ...
किसी की कोई मंजिल
तो किसी का अपना एक जहां
मेरा जहाँ कहाँ है ...
सोचता हूँ कभी कभी ...
आज फिर अपने से ही ये प्रशन किया
पर प्रत्योत्तर में कुछ ना मिला ....
बस लगता है ...
कहीं और का ही मुसाफिर हूँ ...
एक जहाँ मेरा भी है कहीं ...
शायद इस संसार से दूर कहीं ...
यहाँ का हूँ नही शायद ,पर होता हूँ यहीं कहीं ही
कहीं और का हूँ , पर होता नही हूँ वहाँ पर ...
कभी कभी एक हूक सी उठती है मन में ....
कहीं चले जाने को उतावला होता है मन ,
जाने कहाँ,
शायद अपने ही उस संसार में ...
जहाँ मुझे लगे
ये जहाँ मेरा ही है ...
मैं यहीं का हूँ
और ये जहाँ भी मेरा ही है ...